- श्री महाकालेश्वर मंदिर में एंट्री का हाईटेक सिस्टम हुआ लागू, RFID बैंड बांधकर ही श्रद्धालुओं को भस्म आरती में मिलेगा प्रवेश
- कार्तिक पूर्णिमा आज: उज्जैन में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, माँ क्षिप्रा में स्नान के साथ करते हैं सिद्धवट पर पिंडदान
- भस्म आरती: भांग, चन्दन और मोतियों से बने त्रिपुण्ड और त्रिनेत्र अर्पित करके किया गया बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार!
- Ujjain: बैकुंठ चतुर्दशी आज, गोपाल मंदिर पर होगा अद्भुत हरि-हर मिलन; भगवान विष्णु को जगत का भार सौंपेंगे बाबा महाकाल
- भस्म आरती: रजत सर्प, चंद्र के साथ भांग और आभूषण से किया गया बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार, श्रद्धालुओं ने लिया भगवान का आशीर्वाद
महाकाल की शाही सवारी, 10 स्वरूपों में दिए दर्शन:गोपाल मंदिर पर हरि-हर मिलन का अद्भुत नजारा, आतिशबाजी से किया स्वागत
उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर से भादौ महीने के दूसरे सोमवार को भगवान महाकाल की शाही सवारी निकाली गई। बाबा महाकाल ने 10 स्वरूपों में प्रजा काे दर्शन दिए। रात करीब 9:15 बजे महाकाल की सवारी गोपाल मंदिर पहुंची। यहां हरि-हर के मिलन का अद्भुत नजारा देखने को मिला। यहां पुजारियों ने महाकाल की आरती-पूजन किया। यहां खूबसूरत लाइटिंग भी की गई थी। श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल का जयघोष कर उनकी अगवानी की। भक्तों ने पुष्प वर्षा भी की। पूजन के बाद सवारी वापस महाकाल मंदिर की ओर रवाना हो गई।
रात 9: 50 बजे भगवान महाकाल की पालकी पटनी बाजार पहुंची। इस मार्ग पर व्यापारिक संगठनों ने पुष्प वर्षा कर बाबा का स्वागत किया। रात करीब 10 बजे सवारी वापस महाकाल मंदिर पहुंची। यहां भगवान का पूजन किया गया। आतिशबाजी के साथ बाबा का स्वागत किया गया।
इससे पहले शाम करीब 4 बजे कमिश्नर डॉ. संजय गोयल ने महाकाल के चंद्रमौलेश्वर व मनमहेश स्वरूप का पूजन किया। मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल की टुकड़ी राजाधिराज को सलामी दी। सवारी मंदिर से शिप्रा तट की ओर रवाना हुई।
70 भजन मंडलियां भी आगे चलीं। सवारी में 10 बैंड शामिल हैं। इनमें गणेश बैंड, भारत बैंड, रमेश बैंड, आरके बैंड, राजकमल बैंड समेत 5 अन्य बैंड भी भगवान के अलग-अलग मुखारविंद के साथ चल रहे हैं। शाही सवारी में राधा-कृष्ण और भगवान शिव की झांकी भी बनाई गई है।
शिप्रा नदी के तट पर सिंधिया ने किया पूजन
मोक्षदायिनी मां शिप्रा के तट पर शाम करीब 6 बजे सवारी पहुंची। यहां केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भगवान का अभिषेक किया। हालांकि भीड़ ज्यादा होने से पालकी को पूजन स्थल तक पहुंचने में 15 मिनट का समय लग गया। इससे पहले सवारी के पूजन के लिए सिंधिया नाव की मदद से दूसरे किनारे से पूजन स्थल तक पहुंचे। अभिषेक पूजन के बाद सवारी रवाना हो गई। नदी के दूसरे तट से दत्त अखाड़ा की ओर से भगवान महाकाल का पूजन कर आरती की गई। शिप्रा के दोनों किनारों पर मौजूद श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल का जयघोष किया। शिप्रा तट से सवारी गोपाल मंदिर मार्ग के लिए रवाना हो गई।
संभावित भीड़ को देखते हुए स्कूलों की छुट्टी घोषित कर दी गई। शाही सवारी का मार्ग करीब सात किलोमीटर का था।